Nifty 50:भारतीय शेयर बाजार में 7 अप्रैल का दिन निवेशकों के लिए किसी झटके से कम नहीं रहा। ओपनिंग सेशन में ही बाजार बुरी तरह टूटा, और इसका सीधा असर बड़े कॉर्पोरेट समूहों पर पड़ा, खासकर टाटा ग्रुप के स्टॉक्स पर। ग्लोबल स्तर पर अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ के चलते निवेशकों में घबराहट फैल गई और भारी बिकवाली का माहौल बन गया।
क्या हुआ बाजार में?
- Nifty 50 1,146 अंकों की गिरावट के साथ 21,758.40 पर खुला, यानी करीब 5% की गिरावट।
- Sensex 3,984 अंकों की गिरावट के साथ 71,379.8 पर पहुंचा, जो 5.29% की गिरावट है।
- यह कोविड के बाद की सबसे बड़ी ओपनिंग गिरावट मानी जा रही है।
टाटा ग्रुप के स्टॉक्स क्यों गिरे?
1. Tata Motors – लगभग 9% की गिरावट
ओपनिंग प्राइस: ₹559
गिरावट: ₹54.20 (लगभग 9%)
गिरावट का कारण: कंपनी के हाल ही में लिए गए एक रणनीतिक निर्णय को लेकर निवेशकों में आशंका है, हालांकि इसका आधिकारिक विवरण सार्वजनिक नहीं हुआ है।
2. Tata Steel – करीब 10% गिरावट
Nifty 50 गिरावट का कारण: ग्लोबल मेटल मार्केट में कमजोरी, और मेटल इंडेक्स का शुक्रवार को लाल निशान में बंद होना।
वैश्विक मंदी की आशंका और कमोडिटी की कीमतों में गिरावट ने दबाव बनाया।
3. Trent Ltd – लगभग 9% गिरावट
- कंपनी ने Q4 में बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया:
- स्टैंडअलोन रेवेन्यू YoY 28% की बढ़त के साथ ₹4334 करोड़
- 13 नए Westside और 132 Zudio स्टोर्स खोले
- इसके बावजूद शेयर गिरा, जिससे संकेत मिलता है कि मार्केट सेंटीमेंट कंपनी के फंडामेंटल से ऊपर है।
ग्लोबल कारण: ट्रंप टैरिफ का असर
- डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को चिंता में डाल दिया है।
- रेसिप्रोकल टैरिफ से अमेरिका में:
- 20% तक आयात गिरने की संभावना
- GDP ग्रोथ -0.3% तक नीचे जाने का अनुमान (JP Morgan)
- बेरोजगारी दर 5.3% तक बढ़ सकती है
- फेड को ब्याज दरों में कटौती करनी पड़ सकती है
अमेरिकी बाजारों का हाल:
- डाउ जोन्स फ्यूचर – 2.22% गिरा
- S&P 500 – मार्च 2020 के बाद सबसे बुरा 2-दिवसीय परफॉर्मेंस
- नैस्डैक – बियर मार्केट जोन में
- क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
बैंकिंग विशेषज्ञ अजय बग्गा के अनुसार:
“यह केवल भारत की समस्या नहीं है, बल्कि एक वैश्विक मंदी के संकेत हैं। Nifty 50 में एशिया में भी भारी बिकवाली देखी जा रही है – ताइवान में 20% और हांगकांग में 10% तक की गिरावट।”
ब्रोकरेज हाउसों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि अमेरिका ने टैरिफ नीति से पीछे नहीं हटाया तो 2025 में मंदी की स्थिति और गहराएगी।
क्या निवेशकों को घबराना चाहिए?
शॉर्ट टर्म में दबाव रह सकता है, लेकिन फंडामेंटली मजबूत कंपनियों में गिरावट एक अच्छा निवेश अवसर भी हो सकता है।
सरकार द्वारा राहत पैकेज और फेड की पॉलिसी प्रतिक्रिया से बाजार को स्थिरता मिल सकती है।
भारतीय बाजारों ने शेयर बाजार गिरावट के साथ खुले। Nifty 50 इंडेक्स ने शुरुआत में 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की, जो कि कोविड के बाद सबसे बड़ी गिरावट में से एक है, और 1,146.05 अंक या -5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 21,758.40 अंक पर खुला। इस बीच, बीएसई सेंसेक्स 5.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,984.80 अंक या 5.29 प्रतिशत की गिरावट के साथ 71,379.8 पर खुला। विशेषज्ञों ने कहा कि ट्रम्प की घोषणाओं के बीच बाजारों को इस वैश्विक बिकवाली से निपटने में मदद करने के लिए सरकार द्वारा सुधार पैकेज की आवश्यकता है।
क्या इतिहास खुद को दोहराएगा? जिम क्रेमर की चेतावनी और 1987 जैसा ‘ब्लैक मंडे’ खतरे की घंटी?
अमेरिकी टीवी पर्सनालिटी और जाने-माने मार्केट एक्सपर्ट जिम क्रेमर ने हाल ही में स्टॉक मार्केट को लेकर एक गंभीर चेतावनी दी है। CNBC के शो Mad Money में उन्होंने आशंका जताई कि सोमवार, 7 अप्रैल, 1987 की तरह एक और ‘ब्लैक मंडे’ मार्केट के लिए सबसे बुरा दिन साबित हो सकता है।
जिम क्रेमर की चेतावनी: खतरा मंडरा रहा है
क्रेमर ने साफ तौर पर कहा कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उन देशों के साथ संवाद नहीं करते जिन्होंने अमेरिका के टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई नहीं की है, तो बाजार में भयंकर गिरावट आ सकती है। उनका मानना है कि जिन देशों और कंपनियों ने नियमों का पालन किया है, उन्हें अगर समर्थन नहीं मिला, तो निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है।
टैरिफ की मार और मार्केट का हाल
Nifty 50 की बात करें ताे 2 अप्रैल को ट्रंप द्वारा सभी देशों पर 10% बेसलाइन टैरिफ लगाने की घोषणा ने वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मचा दी। अमेरिकी शेयर बाजार बुरी तरह लुढ़क गया:
- Dow Jones 2200 से ज्यादा अंक गिरा (5.50% की गिरावट)
- Nasdaq 900 पॉइंट्स नीचे गया (5.82% गिरावट)
- S&P 500 में 5.97% की बड़ी गिरावट
Nifty 50 में ये गिरावट सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रही। यूरोप, एशिया और भारत के बाजार भी इसकी चपेट में आ गए और निवेशकों के अरबों डॉलर डूब गए।
1987 की यादें और क्रेमर का डर
क्रेमर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि वे नहीं चाहते कि हालात 1987 जैसे बनें, लेकिन उन्हें याद है कि उस दौर में भी गिरावट के पहले ऐसे ही संकेत दिखे थे। 1987 के ‘ब्लैक मंडे’ को इतिहास का सबसे बुरा शेयर बाजार क्रैश माना जाता है, जब 19 अक्टूबर को Dow Jones में एक ही दिन में 22.6% की गिरावट आई थी।
क्या कोई पॉजिटिव संकेत है?
क्रेमर का यह भी कहना है कि इस बार एक राहत की बात यह है कि अमेरिका का जॉब डेटा मजबूत है। इसका मतलब यह हो सकता है कि भले ही Nifty 50 में बाजार में गिरावट हो, लेकिन यह जरूरी नहीं कि अमेरिका मंदी की चपेट में आ जाए।
निष्कर्ष:
7 अप्रैल 2025 को Nifty 50 में भारतीय बाजार ने एक ऐतिहासिक गिरावट देखी, जो कि ग्लोबल अनिश्चितताओं और ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी के असर का परिणाम है। Nifty 50 में टाटा ग्रुप के स्टॉक्स में गिरावट निवेशकों के भरोसे को चुनौती देती है, लेकिन लंबी अवधि के लिए यह गिरावट अच्छे स्टॉक्स में प्रवेश का मौका भी हो सकती है। अब देखना यह है कि भारत सरकार और वैश्विक सेंट्रल बैंक इस बिकवाली का सामना कैसे करते हैं।
Nifty 50 में मार्केट एक्सपर्ट्स की चेतावनियां निवेशकों को सतर्क रहने का संकेत देती हैं। जिम क्रेमर का अनुभव और उनकी चिंता मामूली नहीं है। ऐसे समय में विवेक से काम लेना और लॉन्ग टर्म स्ट्रैटेजी पर टिके रहना ही समझदारी है।